सिस्टम में 'ज़हर' और जातिवाद का दंश: क्या दलित IPS अधिकारी को न्याय मिलेगा?
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, जहाँ संविधान सबको समान अधिकार देता है, एक सीनियर आईपीएस अधिकारी को अपनी जाति के कारण इतना प्रताड़ित किया जाए कि वह खुद को गोली मारने पर मजबूर हो जाए? एक अधिकारी की दर्दनाक मौत ने हमारे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वास्तव में 'मनुवादी' सोच ने इतनी जड़ें जमा ली हैं कि न्याय की उम्मीद भी दम तोड़ देती है?
Written by
pokelistic news



