धुआँ सी ज़िंदगी: क्या आप भी 'सहारे' की तलाश में भटक रहे हैं?
क्या आपकी ज़िंदगी भी कभी धुएँ की तरह बेक़रार और भटकती हुई महसूस हुई है? जहाँ न कोई जड़ है, न कोई ठिकाना, बस लगातार उड़ते रहने का एहसास? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। यह एक ऐसी मानवीय चाहत है जिसे हम सभी महसूस करते हैं—स्थायित्व और सहारे की तलाश।
Written by
pokelistic news



